इस बार वह तीन साल बाद रक्षाबंधन पर अपनी बहन के घर आया था। राखी बधंवाने के बाद उसने थाली में दो सौ रूपये रखते हुए कहा था- ‘‘ले बहन तेरी भाभी ने तुझे इतने ही देने के लिए कहा है।
‘‘ कोई बात नहीं भाई, एक भाई का बहन के घर आना ही काफ़ी होता है।’’ उसने खुश होते हुए कहा था किन्तु अगले ही पल दिमाग़ में एक सवाल उठ खड़ा हुआ था कि भाभी शराब के लिए तो एक पैसा भी नहीं देती, फिर यह भाई हर रोज महगें से महंगी शराब कैसे पीता है?
- सुनीता ‘आनन्द’
सर्वेश सदन, आनन्द मार्ग,
कोंट रोड, भिवानी-127021(हरियाणा