सुनीता आनन्द
- सुबह-सुबह मोबाईल की घण्टी बजी, साधना ने फोन उठाया, स्क्रीन पर देखा तो नम्बर उसकी सहेली सुदेश का था। सुदेश उसे इस समय अक्सर फोन का लेती है। उसे उसने कुछ ही समय पहले द्वि-चक्रिकासन-1 के बारे में बताया था।
‘‘हां, बोलो, कैसी चल रही है, तुम्हारी साईकिल?’’ फोन उठाते ही साधना ने सुदेश से पूछा था।
‘‘बहुत लाभ हो रहा है, मुझे द्वि-चक्रिकासन-1 से अब मुझे द्विचक्रिकासन-2 के बारे में बताइए न?’’-सुदेश ने पूछा था।
‘‘द्वि-चक्रिकासन-2 भी एक की तरह ही है, बस करना इतना है कि जिस तरह से द्वि-चक्रिकासन-1 में हम ज़मीन पर सीधे लेट कर अपने पैरों को साईकिल चलाने की तरह से लगातार घुमाते हैं, वहीं द्वि-चक्रिकासन-2 में दोनों पैरों को एक साथ घुमाते हैं, नीचे से ऊपर ले जाते हुए भी और ऊपर से नीचे लाते हुए भी।’’-साधना ने कहा था।
‘‘फिर तो यह आसन भी बहुत आसान है।’’-सुदेश ने कहा था।
‘‘हां आसान है, लेकिन इसे हर किसी को नहीं करना चाहिए। कमर-दर्द, हृदय रोक, उच्च रक्तचाप, हरणियां और किसी अन्य बीमारी से अस्वस्थता की स्थिति में इसे नहीं करना चाहिए। क्योंकि ऐसे में इससे लाभ नहीं मिलता है।’’ साधना ने कहा था।
‘‘और यदि कोई स्वस्थ व्यक्ति इसे करे तो क्या-क्या लाभ हो सकते हैं?’’ सुदेश ने पूछा था।
‘‘ हां, बिल्कुल ठीक पूछा तुमने, यदि कोई बिल्कुल स्वस्थ व्यक्ति द्वि-चक्रिकासन-2 को करता है, तो यह आसन मोटापा करके उसके शरीर को सुडौल बनाता है। इस आसन को नियमित रूप से पाँच से दस मिनट तक करने से शरीर की अनावश्यक चर्बी खत्म होती है और अनावश्यक रूप से बढ़ा हुआ वज़न बहुत कम हो जाता है। आंतों के रोग समाप्त होते हैं। पाचन शक्ति बढ़ती है। पेट का आकार सुन्दर व सुडौल बनता है। अम्लपित और धरण आदि की बीमारी होने की सम्भावना दूर होती है। रक्तचाप की बीमारी दूर होती है और सम्पूर्ण शरीर में रक्त का संचार सही तरीके से होता है।’’ साधना ने बताया था।
‘‘अरे वाह! अगर ऐसा है, तो अब मैं इस आसन को भी नियमित रूप से किया करूँगी।’’ सुदेश ने खुश होते हुए कहा था।
द्वि-चक्रिकासन-2 को नियमित रूप से करोगी तो यह भी निश्चित है कि तुम्हें कोई काम करते वक़्त थकान भी कभी महसूस नहीं होगी और न ही तुम्हारी श्वास इस तरह से फूलेगी जैसे कि अब मुझसे फोन पर बात करते हुए भी फूली हुई है।’’ थोड़े से मज़ाक के अंदाज़ में कहा था साधना ने।
… और दोनों सहेलियां खिलखिलाकर हँस पड़ी थी और सुदेश ने अच्छा ओ.के. कहकर फोन रख दिया था। इधर साधना खुश थी कि उसके बताए अनुसार द्वि-चक्रिकासन-1 से उसकी सहेली को लाभ हुआ है और उसने द्वि-चक्रिकासन-2 के बारे में खुद उससे पूछा है।- सुनीता ‘आनन्द, सर्वेश सदन, आनन्द मार्ग, कोंट रोड़, भिवानी-127021(हरियाणा) मो. नं.- 9416811121