गीत-ग़ज़ल

फिर आई 26 जनवरी

नव गीत                           – राजकुमार निजात

फिर आई छब्बीस जनवरी , फिर आया मधुमास ।

मधुर  गीत  हैं  फिर  से  गूँजे , मुस्काया आकाश ।।

पानी की कुछ रुनझुन बूँदें , फिर पत्तों पर थिरकीं ।

अधरों पर मधुरिम स्वर आए ,फिर जागा विश्वास ।।

आ  पहुँचा  गणतंत्र  दिवस , करके  श्रृंगार नये से ।

सैंतालिस  की  आजादी , तब  आई  थी  बिंदास ।।

युग बदला नवयुग की दस्तक सबके घर तक आई ।

महाहिंद के गण-गण तक , पहुँचा  मधुर  विकास ।।

विश्व  पटल  पर  भारत  ने  कुछ  रिश्ते  नए बनाए ।

विश्व पटल पर भारत का , अब जागा नव विश्वास ।।

भारत  के  वैभव  को  सबने , एकही स्वर से माना ।

नई सदी के स्वर्णिम भारत , का पनपा इतिहास ।।

अंतरिक्ष  में  भारत  ने  , खुद  अपने  खूँटे  गाड़े ।

सूरज  जैसा  हर  कोने  में  पहुँचा  नया  उजास ।।

नई सदी का भारत है ये ,आसमान पर लिख लो ।

अब  लिक्खा  जाएगा  भारत का नूतन इतिहास ।।

💐    मौलिक , अप्रकाशित  26 जनवरी , 2024.

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